Wednesday, July 29, 2015

याकूब मेमन' की फांसी पर आंसू बहाने वालों.....

याकूब मेमन' की फांसी पर आंसू बहाने वालों..... 

कुछ लोग कहते हे की याकूब को फाँसी सिर्फ इसलिए दी जा रही हे क्योकि वह धर्म विशेष का है...
मेंरा मानना हे की याकूब अब तक सिर्फ इसलिए जेल में सुरक्षित हे क्योकि वो धर्म विशेष का व्यक्ति है, वरना साध्वी प्रज्ञा का उदाहरण सबके सामने है, मैं इसे धर्म से जोड़ कर नहीं देखता और ना ही देखना चाहिए, यदि साध्वी प्रज्ञा को बेल नहीं मिली तो वह भी माननीय न्यायालय द्वारा किया गया सही निर्णय है, लेकिन याकूब मेमन' की सजा पर न्यायालय पर सवाल करना ठीक नहीं, यह भारतीय न्याय व्यवस्था और संविधान का अपमान होगा, चाहे एनसीपी हो या लेफ्ट, यहाँ अधिकतर लोग बस धर्म की राजनीति कर रहे हैं, यह सरासर गलत है, ऐसे आदमी पर दया करने से कोई लाभ नहीं जिसने हज़ारों बेगुनाहों की जिंदगी के बारे में नहीं सोचा, जब वह आतंक के धमाकों का जाल बुन रहा था |

दया की मांग करने वाले कहते हैं वह भारत में स्वयं सरेंडर करने आया था लेकिन उसे गिरफ्तार कर लिया गया, ऐसा नहीं है उसे पूरे सबूतों के आधार पर गिरफ़्तार किया गया है, किसी प्रकार का समर्पण नहीं किया गया | लोग 1992 के दंगों का भी हवाला देते हैं, कि दंगे हुए  इसलिए याकूब और टाइगर मेमन जैसे लोग सामने आये, जो अपने धर्म और अपने लोगों का बदला लेना चाहते थे |
चाहे दंगों में याकूब हो या कोई भी धर्म का आतंकवादी हो उसे अपने किये हुए की सज़ा मिल रही है और मिलेगी, इसलिए इस पर राजनीति करने से नेताओं और समाज में गणमान्य लोगों को बाज़ आना चाहिए |          

#एक सर्वे के मुताबिक दुनिया में 'भारत' देश अल्पसंख्यको के लिए सबसे सुरक्षित देश है ।
उसके बाद भी हिन्दुस्तान को धर्मनिरपेक्षता की परीक्षा से हर रोज गुजरना पड़ता है 
कुछ लोग कहते हे की याकूब को फांसी दे रहे हो तो इंदिरा राजीव और बेअंत के हत्यारो को भी फांसी दो।
क्या उनमे और याकूब में कोई फर्क नहीं?
राजीव, इंदिरा, या बेअंत के हत्यारो ने उन्हें इसलिए मारा क्योंकि उनकी नज़र में वो उनके गुनहगार थे। उनका एक निशिचित टारगेट था। वो किसी विचारधारा के अधीन उन्हें अपना या अपनी कौम का गुनहगार समझते थे।

लेकिन मुम्बई बम कांड के गुनाहगारो की क्या कोई विचारधारा थी? नहीं
क्या उनका कोई व्यक्तिगत टारगेट था?नहीं
उन्होंने मासूम जनता को टारगेट बनाया। उसमे मारने वाले सभी धर्म के लोग थे। वो सिर्फ आतंक का राज़ कायम करना चाहते थे।उनकी उस मासूम जनता से कोई दुश्मनी नहीं थी।
याकूब और दाऊद न सिर्फ कौम के गद्दार थे वल्कि देश के भी गदार हे। फाँसी से कम कोई भी सज़ा अन्याय ही होगा।